छतरपुर जिले में प्रशासनिक अराजकता

छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में भारी बदनामी,बेशर्मी के बाद सरकार की सलाह पर एसडीएम सपकाले को मजबूरी के साथ कलेक्टर ने एसडीएम के रूप में ज्वाइन करा दिया लेकिन पूरे मामले का पटाक्षेप अभी भी नही हुआ है। छतरपुर तहसील के तहसीलदार विजय कुमार का राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते कुछ समय पूर्व तबादला दमोह कर दिया गया था। तहसीलदार को यह सजा विधायक की मनमर्जी और उनके सही गलत कामों को ततपरता के साथ नही करने की दी गई। लेकिन एसडीएम की तरह तहसीलदार भी हाईकोर्ट की शरण में न्याय के लिए चले गए। कोर्ट ने तहसीलदार के फेवर में निर्णय देते हुए कहा कि यह वॉयलेशन ऑफ ट्रांसफर पॉलिसी है। इसलिए अग्रिम आदेश तक पद सहित यथा वत पदस्थ रखने के आदेश दिए जाते हैं। लेकिन हाईकोर्ट का आदेश लेकर वे कई बार कलेक्टर के चक्कर काट चुके हैं। लेकिन कोई हल नही निकला।


कलेक्टर विवादों में 
छतरपुर कलेक्टर बुंदस की एसडीएम प्रकरण में इतनी किरकिरी हो चुकी है कि कमलनाथ सरकार की प्रशासनिक जमावट पर ही सवाल खड़े होने लगे है। वकील ताला डाल चुके। जनता के बीच लानत मलानत हुई। दो -दो मंत्री कोर्ट के आदेश पर चुप हो गए। बमुश्किल सरकार के फरमान के बाद कलेक्टर का ईगो शांत हुआ। कलेक्टर को फटकार और मुंह की खाने के बाद एसडीएम को यथावत करना पड़ा।


तहसीलदार भी एसडीएम की राह पर 
सूत्रों का कहना है कि एक दो दिन इंतजार के बाद तहसीलदार भी हाईकोर्ट के आदेश से तहसील कार्यालय में पदभार ग्रहण करेंगे। ये अभी कलेक्टर के निर्णय की प्रतीक्षा में हैं। यदि इनको तहसील में तहसीलदार के पद पर ज्वॉइन नही कराया गया तो वे भी एसडीएम की तरह पदभार ले लेंगे।बताया जाता है कि उन्होंने कलेक्टर सहित आला अफसरों को अवगत करा दिया है। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया है कि मेरे द्वारा विधिसम्मत आचरण से यदि कोई अव्यवस्था फैलती है तो इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।


कोर्ट का आदेश नही मान रहे कलेक्टर 
तहसीलदार विजय कुमार का कहना है कि माननीय हाईकोर्ट का आदेश मेरे पास है। कलेक्टर महोदय को भी प्रतिलिपी प्रदान कर दी गई है। कुछ दिन और इंतजार करूँगा । वैसे भी आदेश हुए एक माह से अधिक हो गया है। यदि माननीय हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर मुझे मेरा चार्ज नही दिया गया तो मैं भी एसडीएम की राह पर जाऊंगा।